Friday, April 22, 2011

जाम-ऐ-तन्हाई


पीने दे साथी अभी रात बाकी है,
गूंजती मेरे जेहन में अभी आवाज़ बाकी है,
बिहाड़े इस मन में ख्यालात बाकी है,
टूटे मेरे दिल में जज़्बात बाकी है,
और अभी दिल की सौगात बाकी है,
पीने दे साथी अभी रात बाकी है !!

बेवफा से होनी मुलाकात बाकी है,
जो बोले नहीं गए वो लाफ्जात बाकी है,
जो हुआ नहीं वो इन्साफ बाकी है,
पूरी न की वो इनायात बाकी है,
गम-ऐ-ज़िन्दगी की खैरात बाकी है,
पीने दे साथी अभी रात बाकी है !! 

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