Friday, April 22, 2011

पहला प्यार


दिल की बातों से दुश्वार था,
प्यार की बातों से इन्कार था,
और एक दिन तुम मिले महफ़िल में,

इरादा भी दोस्ती का था,
वादा भी दोस्ती का था,
पाला न था ख्वाब कोई दिल में,

पता नहीं तेरी बातों में क्या था,
न जाने इन तन्हा रातो में क्या था,
तू ही दिखी राह में, मंजिल में,

परछाइयों से तेरा दीदार करने लगा,
हर घडी तेरा इंतज़ार करने लगा,
तन्हा रातों में तुझसे प्यार करने लगा,

तेरी आखों में खुद को ढूंढता हूँ मैं,
तेरी आवाज़ में कहीं गूंजता हूँ मैं,
तेरी यादो को बातो से चूमता हूँ मैं,

जब मिलती है तो कह नहीं पा रहा,
बिन कहे भी तो रह नहीं पा रहा,
ये बेबसी का आलम अब और सह नहीं पा रहा,

डरता हूँ तू दिल को झंझोड़ न ले,
अपना चेहरा यूँ बेदर्दी से मोड़ न ले,
अपनी दोस्ती की डोर भी कहीं तोड़ न ले,

तेरी बाहों में क्या कभी खो पाऊँगा,,
इन तनहा रातो में क्या कभी सो पाऊँगा,
क्या इस ज़िन्दगी में तेरा हो पाऊँगा,

काश तू इस छुपे दिल का दीदार करे,
मेरी चाहत को तू साकार करे,
चंद लम्हों के लिए ही, पर मुझसे प्यार करे,

जो पूछ लूँ एक बात तो दिल को चूर न करना,
अपने साथ को मेरे जीवन से बेनूर न करना,
दोस्ती ही सही पर खुद से दूर न करना,

क्या तू भी अपनी रातों को बेकरार करती है,
क्या तू भी मेरा इंतज़ार करती है,
क्या तू भी मुझसे उतना ही प्यार करती है ?
क्या तू भी मुझसे उतना ही प्यार करती है ???

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