इन्कार था हमेशा से, पर दिल में छिपा एहसास था,
आज समझ पाया, इस तन्हाई में भी तू मेरे पास था,
अंधेरों की गहरायी में, उजाले की मेरी आस था,
आज समझ पाया, इस तन्हाई में भी तू मेरे पास था,
मुरझाई चेहरे की आखों में भी दमक होती है,
बहते हुए अश्को में भी चमक होती है,
इतना बुरा तो कुछ भी नहीं इस जहां में,
जिसपे बीते बस उसकी एक समझ होती है,
जो न मिल सका उस के लिए तड़पना क्या,
जो खो गया, क्यूँ उस की कसक होती है,
जो मिला है वो आज नहीं कल जाना है,
उस के लिए जीवन भर क्यों पछताना है,
जो है जीवन में, क्यों न हम उसी में बस लें,
बीती यादों को सुन्हेरे में सजा के हँस लें,
बीते पे हँस के अब को अपनाना ही आस है,
आज समझ पाया, इस तन्हाई में भी तू मेरे पास है !!!
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