Thursday, July 21, 2011

अंधेरो से मोहोब्बत



बस एक ही काम  मैं पूरे दिल से करता हूँ,
जीता था कभी मैं भी, अब तुम पे मरता हूँ 

गुमान था हकीकत की रूह से कभी,
अब खुद से झूठे वादे करता हूँ

बस एक ही काम  मैं पूरे दिल से करता हूँ,
जीता था कभी मैं भी, अब तुम पे मरता हूँ 

काली अँधेरी रातों में दीदार तुम्हारा होता है,
सपनो में भी तब जीना दुश्वार हमारा होता है

सपने वापस न लौटे, इन रातों से अब डरता हूँ,
जीता था कभी मैं भी, अब तुम पे मरता हूँ 

मोहोब्बत की सजा कुछ यूँ मिली हमे, जीना अपना दुश्वार हुआ,
भीड़ में दिल होता है तन्हा, इस तन्हाई से यूँ प्यार हुआ,

इश्क है मेरा सच्चा , अब अंधेरो से मोहोब्बत करता हूँ,
तब मैं तुम पे मरता था, अब इस इश्क से मैं डरता हूँ,
जिन अंधेरों से मैं डरता था, अब उन से मोहोब्बत करता हूँ,
जिन अंधेरों से मैं डरता था, बस उन से मोहोब्बत करता हूँ ...!!!

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